तुम आए —
जैसे कोई मौन संकेत,
कोई अदृश्य इशारा
जो आत्मा को उसकी दिशा दिखा दे।
मैं डूबा था
इस संसार की गहराइयों में,
माया के रंगों में उलझा,
भटकता रहा अपनी ही छाया में।
तुम नाव बनकर आए,
शब्द नहीं बोले,
पर तुम्हारी उपस्थिति ही
मुझे कृष्ण के चरणों तक ले गई।
तुम आए —
जैसे कोई मधुर स्पर्श,
जो नाम रस की ओर खींच लाए।
मंजिल तो वही थी —
जहाँ प्रेम स्वयं पिघलता है,
जहाँ नाम की ध्वनि
अंतर को शुद्ध करती है।
तुम प्रेम बनकर आए,
और मैं बह गया
उस रसधारा में
जहाँ केवल कृष्ण हैं,
और शेष सब विस्मृति।
तुम्हारा आना —
न कोई आरंभ, न कोई अंत,
बस एक संकेत,
जो मुझे मेरे सत्य तक पहुँचा गया।
Your Arrival Was Merely a Sign
Your arrival—
was but a subtle sign,
for the true destination
was the dust of Krishna’s feet.
I had lost my way
in this vast, enchanting ocean.
You became the boat
that carried me to Krishna.
Your arrival—
was merely a sign again,
for the true destination
was the nectar of His sweet name.
You became love itself,
and led me gently
to the bliss of that sacred Name.
यह कविता दर्शाती है कि जीवन में जो व्यक्ति, अनुभव या प्रेरणा आती है, वह स्वयं मंजिल नहीं होती — बल्कि वह एक संकेत होती है उस परम सत्य की ओर, जो कृष्ण के चरणों में और उनके नाम में समाहित है।
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