योजना बनी है—
किसी अदृश्य रेखा पर चलने की,
कुछ कदम उठे,
कुछ राहें बनीं,
और लोग कहने लगे—
यह जीवन है।
ईंधन मिला है—
शरीर को गति देने को,
श्वासों को बहने को,
कुछ इच्छाएँ जागीं,
कुछ वस्तुएँ मिलीं,
और लोग कहने लगे—
यह संसार है।

योजना बनी है—
किसी अदृश्य रेखा पर चलने की,
कुछ कदम उठे,
कुछ राहें बनीं,
और लोग कहने लगे—
यह जीवन है।
ईंधन मिला है—
शरीर को गति देने को,
श्वासों को बहने को,
कुछ इच्छाएँ जागीं,
कुछ वस्तुएँ मिलीं,
और लोग कहने लगे—
यह संसार है।

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