
पूरा चाँद चमक रहा है
नीले आसमान की नीरवता में,
जैसे कोई पुरानी प्रार्थना
जो अब भी उत्तर की प्रतीक्षा में है।
नीचे, हरी भरी ज़मीन पर
तुम्हारा चेहरा उदास है —
क्योंकि हर हरियाली
सिर्फ बाहरी नहीं होती।
उम्मीद के बीज
हर मिट्टी में नहीं उगते,
उन्हें चाहिए एक ऐसी ज़मीन
जो दर्द को भी पोषण समझे,
और एक ऐसा आकाश
जो सीमाओं से परे हो।
तारे तोड़ने की ज़रूरत नहीं —
कोई तुम्हारे लिए आकाश नहीं चीरने वाला।
तुम स्वयं एक तारा हो
जो धीरे-धीरे
अपने ही अंधेरे से चमकता है।
Sapta
Leave a comment