ईश्वर ने सभी को रूप में ढाला है और हमारी बुद्धि ईश्वर को ही एक रूप दे देती है।
ईश्वर को स्वयं में खोज लेना एक मार्ग हो सकता है परन्तु सभी एक तरीके से उसे खोजे उसे स्वीकार नहीं होता है, या कहे की एक रास्ता केवल एक के लिए और उस एक के साथ जो एक हो सके उसके लिए है।
राम का मार्ग राम के लिए था परन्तु अगर हमें उस मार्ग से ईश्वर को प्राप्त होना है तो पहले हमे पूर्ण रूप से राम मय या राम ही हो जाना होगा ।इसी प्रकार कृष्ण, बुध, जीसस,मुहम्मद साहब, नानक जी व अन्य सभी ईश्वर प्राप्त प्रबुद्ध जनों के साथ भी सत्य है।
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